महाकुंभ मेला आस्था, भक्ति और संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है, जहां करोड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान, दिव्य संगम, और मोक्ष की कामना के साथ एकत्र होते हैं। हर 12 साल में होने वाला यह मेला प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है। संत-महात्माओं की उपस्थिति, अखंड भजन-कीर्तन और पवित्र गंगा का स्नान इसे एक दिव्य अनुभव बनाते हैं। इस आध्यात्मिक पर्व पर शायरी के माध्यम से भावनाओं को प्रकट करना एक अनोखी कला है। महाकुंभ पर शायरी आस्था, भक्ति और पवित्रता की भावना को व्यक्त करने का एक सुंदर तरीका है। आइए, इस पावन पर्व पर कुछ बेहतरीन महाकुंभ शायरी का आनंद लें!
Mahakumbh Shayari In Hindi
पवित्र धारा में डुबकी लगा लो,
जीवन को निर्मल बना लो,
महाकुंभ का है पावन मेला,
भगवान का आशीर्वाद पा लो।
गंगा का तट, संतों की टोली,
हर हर गंगे की गूंज है बोली,
आओ लगाएं पुण्य की झड़ी,
महाकुंभ में आए खुशियों की घड़ी।
महाकुंभ का आया है अवसर,
संगम में कर लो स्नान अमर,
हर पाप मिटेंगे, मिलेगा मोक्ष,
करो श्रद्धा से चरण स्पर्श।
डुबकी लगाई गंगा के जल में,
शांति मिली मन के पल में,
महाकुंभ की पावन घड़ी,
बिखेर रही खुशबू चंदन-सी।
संतों की वाणी, भजन की गूंज,
चारों दिशाओं में भक्ति की धुन,
महाकुंभ का मेला है पावन,
आओ हम सब करें इसको साधन।
संगम का जल मोती समान,
जिसने किया स्नान, हुआ पावन,
महाकुंभ में चलो हम भी जाएं,
ईश्वर का आशीर्वाद पाएं।
भक्तों की टोली उमड़ पड़ी है,
हर हर गंगे की लहर चली है,
महाकुंभ में आएं सभी सजन,
मोक्ष का होगा सुखद मिलन।
आस्था का पर्व है महाकुंभ,
हर दिशा में छाया पुण्य का रंग,
जो भी गंगा में स्नान करेगा,
पापों से मुक्ति वो पाएगा।
धूप हो या बारिश की फुहार,
श्रद्धा का नहीं होता असर बेकार,
महाकुंभ का यह मेला पावन,
हर दिल में बसता है भावनात्मक सावन।
संतों की वाणी अमृत समान,
गंगा जल जैसा नहीं वरदान,
महाकुंभ में जिसने किया स्नान,
उसका जीवन हो गया महान।
महाकुंभ का है पावन पर्व,
हर दिशा में फैला है गर्व,
गंगा की लहरें देती संदेश,
आओ, करें स्नान विशेष।
पुण्य की धारा, श्रद्धा की गंगा,
संतों की टोली, भक्तों का रंगा,
महाकुंभ का अवसर आया,
हर मन में विश्वास छाया।
संगम में जो भी नहाएगा,
जीवन में उजियारा पाएगा,
महाकुंभ की इस शुभ बेला में,
हर भक्त मोक्ष पाएगा।
हर हर गंगे की लहरें आईं,
भक्तों की टोली संगम में समाई,
महाकुंभ में जो पुण्य कमाए,
भगवान की कृपा सदा वो पाए।
हाथ जोड़, चरणों में शीश नवाएं,
महाकुंभ में पुण्य कमाएं,
गंगा का पावन जल जो पाए,
जीवन में आनंद ही आनंद आए।
संतों के चरणों की रज ले लो,
हरि की भक्ति में रम जाओ,
महाकुंभ में जो आएगा,
जीवन का सत्य समझ पाएगा।
धूप हो या छांव, श्रद्धा अपार,
महाकुंभ मेला है अद्भुत संसार,
आओ करें गंगा में स्नान,
पाप मिटेंगे, मिलेगा सम्मान।
गंगा की लहरें करती पुकार,
महाकुंभ में आओ, बढ़ाओ प्यार,
धर्म और आस्था का संगम यही,
भगवान की कृपा बरसे सभी पर सही।
गूंजे हर तरफ शंख और घंटा,
महाकुंभ में दिखता आस्था का झंडा,
जो गंगा का आशीष पाता,
उसका जीवन सुखमय जाता।
हर हर महादेव, जय गंगा मैया,
महाकुंभ में है भक्तों की छैया,
जो भी प्रेम से नहाए गंगा में,
संसार के बंधन से मुक्ति पाए।
महाकुंभ का पावन नजारा,
हर भक्त को लगे प्यारा,
संतों की वाणी, गंगा की धारा,
हर दिल में बसे जयकारा।
हर हर गंगे की लहरें आईं,
श्रद्धा संग भक्तों को बहा ले आईं,
महाकुंभ की पुण्य घड़ी में,
हर मन में नई रोशनी छाई।
गंगा का जल है अमृत समान,
जो इसमें नहाए, बन जाए महान,
महाकुंभ का पर्व अनोखा,
मोक्ष की राह दिखाए अनदेखा।
पुण्य का सागर, संतों का संग,
महाकुंभ में बहे भक्ति का रंग,
जिसने किया संगम में स्नान,
उसका जीवन हो गया धन्य महान।
अखाड़ों की जय-जयकार,
गूंजे मंत्रों की मधुर पुकार,
महाकुंभ में जो आएगा,
ईश्वर की कृपा वह पाएगा।
गंगा किनारे दीप जलाएंगे,
हरि का नाम सदा जपेंगे,
महाकुंभ की इस शुभ बेला में,
हर मन शुद्ध कर जाएंगे।
आस्था का मेला, श्रद्धा की राह,
महाकुंभ में है भक्ति की चाह,
जो भी संगम में आता है,
ईश्वर से प्रेम निभाता है।
गंगा मैया के चरणों में शीश नवाओ,
महाकुंभ में आकर पुण्य कमाओ,
पाप मिटेंगे, दिल मुस्काएगा,
हर भक्त मोक्ष को पाएगा।
धूप, हवा, जल और आकाश,
महाकुंभ में सबका है वास,
यह पर्व हमें सिखाता है,
धरती पर धर्म निभाना खास।
साधु-संतों का अनोखा संसार,
हर दिशा में भक्ति की बहार,
महाकुंभ में जो भाग्य आजमाए,
जीवन में सुख-शांति वह पाए।
संगम तट पर बज रही बांसुरी,
गूंज रही हर तरफ काशी की धुन,
महाकुंभ में आओ, पुण्य कमाओ,
हरि के चरणों में अर्पित हो मन।
गंगा की लहरें करती पुकार,
महाकुंभ में आओ, बढ़ाओ प्यार,
श्रद्धा, भक्ति और संतों की वाणी,
यहीं से मिलती है मुक्ति निशानी।
हर हर गंगे, जय गंगा मैया,
भक्तों की लगी है पावन छैया,
महाकुंभ में जो प्रेम से नहाए,
उस पर प्रभु की कृपा बरस जाए।
आस्था का दीप जलाएं,
गंगा में आकर पुण्य कमाएं,
महाकुंभ का यह अनुपम मेला,
मन में भर दे दिव्य उजाला।
संतों के चरणों में बैठो जरा,
भक्ति का गंगाजल पी लो जरा,
महाकुंभ की इस शुभ घड़ी में,
हरि की महिमा को जानो जरा।
महाकुंभ का मेला पावन,
हर भक्त के लिए है सावन,
जो भी यहां गंगा में नहाए,
ईश्वर का आशीष वो पाए।
अखाड़ों की गूंज, मंत्रों की ध्वनि,
हर भक्त के मन में उमंग जगी,
महाकुंभ में जो स्नान करेगा,
अपने पापों से मुक्ति पायेगा।
गंगा किनारे दीप जलाएंगे,
हर हर महादेव गुनगुनाएंगे,
महाकुंभ की इस पुण्य घड़ी में,
हरि के नाम को अपनाएंगे।
आस्था का दरिया उमड़ पड़ा है,
श्रद्धा का दीपक जल पड़ा है,
महाकुंभ में जिसने डुबकी लगाई,
उसकी किस्मत निखर पड़ी है।
हरि का नाम लो, मन को पावन करो,
महाकुंभ में आओ, तन-मन निर्मल करो,
संगम की लहरों संग बह चलो,
भक्ति में खोकर प्रभु से मिलो।