लोकसभा में ‘One Nation One Election bill की पेशकश
मंगलवार, 17 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए संविधान (129वां संशोधन) बिल और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) बिल लोकसभा में पेश किए। इस कदम का उद्देश्य देशभर में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एकसाथ कराना है।
हालांकि, इस बिल को लेकर विपक्ष ने इसे “संविधान विरोधी” और “संघीय ढांचे के खिलाफ” करार दिया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, और एआईएमआईएम जैसी पार्टियों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया।
Contents
One Nation One Election bill
प्रस्ताव का समर्थन | वोट संख्या |
---|---|
बिल के पक्ष में | 269 |
बिल के विरोध में | 198 |
क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का उद्देश्य?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का सीधा मतलब है कि पूरे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं। इसका उद्देश्य:
- चुनाव प्रक्रिया को आसान बनाना।
- चुनाव खर्च में कटौती।
- राजनीतिक स्थिरता लाना।
विपक्ष के तर्क: संघीय ढांचे पर चोट?
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, “यह संविधान के संघीय ढांचे पर हमला है। राज्य और केंद्र सरकारें भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में समान भागीदार हैं। राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को लोकसभा के साथ समायोजित करना असंवैधानिक है।”
तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “यह बिल राज्य सरकारों की स्वायत्तता को खत्म करता है और जनता के जनादेश का अपमान करता है।”
समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने इसे “तानाशाही का रास्ता” करार दिया।
सरकार का पक्ष: एक लंबित चुनाव सुधार
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस कदम को “चुनाव सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम” बताया। उन्होंने कहा, “इस बिल से संविधान की मूल संरचना पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह केवल चुनावों को सरल और समन्वित बनाने की प्रक्रिया है।”
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “यह बिल व्यापक विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा जाएगा। विस्तृत चर्चा के बाद ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।”
वन नेशन, वन इलेक्शन: फायदे और नुकसान
संभावित फायदे:
- चुनाव खर्च में कमी।
- राजनीतिक अस्थिरता में कमी।
- सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में मदद।
संभावित नुकसान:
- संघीय ढांचे पर चोट।
- क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका कमजोर होना।
- लोकतांत्रिक अधिकारों पर प्रतिबंध।
Conclusion: क्या होगा बिल का भविष्य?
यह बिल अब संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाएगा। विपक्ष और सरकार के बीच विचार-विमर्श के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल: क्या यह एक बड़ा सुधार है या लोकतंत्र पर खतरा? हमें आपके विचार जानने में खुशी होगी!